मलेरिया के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर अपना भारत

मलेरिया के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर अपना भारत

सेहतराग टीम

हमारे देश का शायद ही कोई हिस्‍सा हो जो मलेरिया के बुखार से अछूता हो। देश के तकरीबन सारे राज्‍य इस बीमारी की जद में हैं और देश की 95 फीसदी आबादी इस बीमारी के रिस्‍क जोन में है। हर साल मलेरिया के नए मामले सामने आने और इस बीमारी के कारण होने वाली मौतों के मामले में भारत पूरी दुनिया में चौथे नंबर पर है। हर साल सबसे अधिक मामले छत्‍तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में सामने आते हैं। इनके अलावा अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में इसका खासा प्रकोप देखने को मिलता है। ऐसी स्थिति में ये वक्‍त की जरूरत है कि नए मामलों का अच्‍छे से पता लगाया जाए और जल्‍द से जल्‍द समग्र कार्रवाई की जाए।

गौरतलब है कि भारत ने वर्ष 2027 तक देश को मलेरिया मुक्‍त करने और 2030 तक इस बीमारी का उन्‍मूलन करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। हालांकि इस लक्ष्‍य को हासिल करने की राह में कई चुनौतियां हैं। जरूरत इस बात की है कि बड़े पैमाने पर इस बीमारी के मामलों का पता लगाया जाए और जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए।

क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं, मलेरिया खून की ऐसी बीमारी है जो मच्‍छर जनित होती है और इसमें जान का जोखिम भी होता है। मादा एनोफ‍िलिस मच्‍छर द्वारा काटे जाने से इसका मलेरिया का परिजीवी मानव शरीर में दाखिल होता है और एक बार किसी शरीर में पहुंच जाने के बाद वो लिवर को अपना घर बनाता है और वहां अपनी संख्‍या बढ़ता है। संख्‍या बढ़ने के बाद वो लाल रक्‍त कोशिकाओं को समाप्‍त करना शुरू कर देता है।

लक्षण

मलेरिया का सबसे आम लक्षण तेज ठंड के बाद बुखार आना है। चेतना का क्षीण हो जाना, उदासीनता, शरीर में कई जगह मरोड़ उठना, बदन टूटना, गहरी सांस लेना, श्‍वसन तंत्र पर दबाव पड़ना। अस्‍वाभाविक रक्‍तस्राव और रक्‍त की कमी की स्थिति पैदा हो जाना, क्लिनिकल जॉन्‍ड‍िस और शरीर के जरूरी अंगों का सही से काम न करना, ये सभी मलेरिया के लक्षण हैं।

डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं कि भारत शुरू से ही मलेरिया के खिलाफ लड़ाई के केंद्र में रहा है। आज से 120 साल पहले भारत के सिकंदराबाद में सबसे पहले यह पता चला था कि मलेरिया मच्‍छर के जरिये फैलता है। अब से आधी दुनिया अपने यहां से मलेरिया का उन्‍मूलन कर चुकी है और अब वक्‍त है कि भारत भी जरूरी कदम उठाए और अपने यहां से मलेरिया का उन्‍मूलन करे।

कुछ टिप्‍स

मलेरिया का मच्‍छर साफ पानी में पनपता है इसलिए घर या आसपास कहीं पानी जमा न होने दें। ध्‍यान रखें मलेरिया के मच्‍छर को पनपने के लिए 7 से लेकर 12 दिन का वक्‍त लगता है। यदि हम अपने घर में पानी जमा करने वाले बर्तनों को सप्‍ताह में एक दिन हर हाल में साफ करने का नियम बनाएं तो मलेरिया के मच्‍छर को पनपने का मौका ही नहीं मिलेगा।

मच्‍छर किसी भी गमले या पक्षियों के पीने के लिए रखे गए पानी में भी अपने अंडे दे सकते हैं इसलिए ध्‍यान रखें कि गमले में ज्‍यादा पानी न जमा हो और पक्षियों के पानी का बर्तन सप्‍ताह में एक दिन साफ कर दिया जाए।  

डेंगू की तरह मलेरिया का मच्‍छर भी दिन में ही काटता है इसलिए रात में सोते समय मच्‍छरदानी लगाना मलेरिया के मामले में बहुत मददगार नहीं हो सकता।

मलेरिया का मच्‍छर आवाज नहीं करता। इसलिए ऐसे मच्‍छर जो आवाज कर रहे हों उनसे इस बीमारी का खतरा नहीं होता।

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